जीवन बदलने वाली कहानियां

 


बड़े सपने देखिये क्योंकि बड़े सपने देखने वालों के सपने ही पूरे हुआ करते हैं ऐसा धीरू भाई अंबानी का कहना था। धीरजलाल हीरालाल अंबानी जिन्हें धीरू भाई भी कहा जाता है, भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति थे। धीरजलाल हीरालाल अंबानी ने 1966 में रिलायंस टैक्सटाइल्स की स्थापना की। धीरू भाई अंबानी ने 300 रुपये वेतन में काम किया, लेकिन जब धीरू भाई ने दुनिया से अलविदा किया उस समय उनकी संपत्ति 62 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा थी। धीरूभाई ने जिस मेहनत, ईमानदारी और लगन से तरक्की की है उसी वजह से भारत का हर युवा उनसें प्रेरणा लेता है। धीरूभाई भारत ही नहीं, संसार के प्रेरणादायी व्यक्तित्वों में से एक थे।

शुरूआती जीवन-
 
धीरजलाल हीरालाल अंबानी का जन्म 28 दिसम्बर, 1932 को गुजरात के जूनागढ़ जिले के छोटे से गांव चोरवाड़ में हुआ था। उनके पिता का नाम हीरालाल अंबानी और माता का नाम जमनाबेन था। धीरूभाई अंबानी के पिता एक शिक्षक थे। धीरूभाई के चार भाई-बहन थे। धीरूभाई का शुरूआती जीवन कष्टमय था। इतना बड़ा परिवार होने के कारण आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता था। इन्हीं सभी परेशानियों के कारण उन्हें स्कूली शिक्षा भी बीच में छोड़नी पड़ी। पिता की मदद करने के लिए धीरूभाई ने छोटे-मोटे काम करने शुरू कर दिए थे।
 
व्यवसायिक सफर-
 
धीरूभाई ने पढ़ाई छोड़ने के बाद फल और नाश्ता बेचने का काम शुरू किया, लेकिन कुछ ज्यादा फायदा नहीं हुआ। उन्होंने गांव के पास एक धार्मिक स्थल पर पकौड़े बेचने का काम शुरू किया लेकिन यह काम पूरी तरह पर्यटकों पर निर्भर था, जो साल के कुछ समय तो अच्छा चलता था बाकी समय इसमें खास फायदा नहीं था। धीरू भाई अंबानी ने इस काम को भी कुछ समय बाद बंद कर दिया। बिजनेस से मिली पहली दो असफलताओं के बाद धीरूभाई के पिता ने उन्हें नौकरी करने की सलाह दी।
 
नौकरी के दौरान व्यापार- 
 
धीरू भाई अंबानी के बड़े रमणीक भाई यमन में नौकरी किया करते थे। उनकी मदद से धीरू भाई को भी यमन जाने का मौका किया। वहां उन्होंने 300 रुपये प्रति माह के वेतन पर पेट्रोल पंप पर काम किया। महज  दो वर्ष में ही अपनी योग्यता की वजह से प्रबंधक के पद तक पहुंच गए। इस नौकरी के दौरान भी धीरू भाई का मन इसमें कम और व्यापार में करने के मौकों की तरफ ज्यादा रहा। धीरू भाई ने उस हरेक संभावना पर इस समय में विचार किया कि किस तरह वे सफल बिजनेस मैन बन सकते हैं। एक घटना व्यापार के प्रति जुनून को बयां करती है- धीरूभाई अंबानी जब एक कंपनी में काम कर रहे थे तब वहां काम करने वाला कर्मियों को चाय महज 25 पैसे में मिलती थी, लेकिन धीरू भाई पास के एक बड़े होटल में चाय पीने जाते थे, जहां चाय के लिये 1 रुपया चुकाना पड़ता था। उनसे जब इसका कारण पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उसे बड़े होटल में बड़े-बड़े व्यापारी आते हैं और बिजनेस के बारे में बातें करते हैं। उन्हें ही सुनने जाता हूं ताकि व्यापार की बारीकियों को समझ सकूं। इस बात से पता चलता है कि धीरूभाई अंबानी को बिजनेस का कितना जूनून था।
 
कुछ समय बाद यमन में आजादी के लिए आन्दोलन शुरू हो गए, इस कारण वहां रह रहे भारतीयों के लिए व्यवसाय के सारे दरवाज़े बंद कर दिए गये। इसके बाद लगभग 1950 के दशक के शुरुआती सालों में धीरुभाई अंबानी यमन से भारत लौट आये और अपने चचेरे भाई चम्पकलाल दमानी के साथ मिलकर पॉलिएस्टर धागे और मसालों के आयात-निर्यात का व्यापार प्रारंभ किया। रिलायंस कमर्शियल कारपोरेशन की शुरुआत मस्जिद बन्दर के नरसिम्हा स्ट्रीट पर एक छोटे से कार्यालय के साथ हुई। यहीं से जन्म हुआ रिलायंस कंपनी का। इस व्यापार के पीछे धीरुभाई का लक्ष्य मुनाफे पर ज्यादा ध्यान न देते हुए ज्यादा से ज्यादा उत्पादों का निर्माण और उनकी गुणवत्ता पर था। इस दौरान अम्बानी और उनका परिवार मुंबई के भुलेस्वर स्थित ‘जय हिन्द एस्टेट’ में एक छोटे से अपार्टमेंट में रहता था।
 
वर्ष 1965 में धीरुभाई अंबानी और चम्पकलाल दमानी की व्यावसायिक साझेदारी समाप्त हो गयी। दोनों के स्वभाव और व्यापार करने के तरीके बिलकुल अलग थे इसलिए ये साझेदारी ज्यादा लम्बी नहीं चल पायी। एक ओर जहाँ दमानी एक सतर्क व्यापारी थे, वहीं धीरुभाई को जोखिम उठाने वाला माना जाता था। इसके बाद धीरुभाई ने सूत के व्यापार में हाथ डाला जिसमें पहले के व्यापार की तुलना में ज्यादा हानि की आशंका थी। पर वे धुन के पक्के थे उन्होंने इस व्यापार को एक छोटे स्टोर पर शुरू किया और जल्द ही अपनी काबिलियत के बलबूते धीरुभाई बॉम्बे सूत व्यापारी संगठन के संचालक बन गए।
 
अब तक धीरुभाई को वस्त्र व्यवसाय की अच्छी समझ हो गयी थी। इस व्यवसाय में अच्छे अवसर की समझ होने के कारण उन्होंने वर्ष 1966 में अहमदाबाद के नैरोड़ा में एक कपड़ा मिल स्थापित की। यहाँ वस्त्र निर्माण में पोलियस्टर के धागों का इस्तेमाल हुआ और धीरुभाई ने ‘विमल’ ब्रांड की शुरुआत की जो की उनके बड़े भाई रमणिकलाल अंबानी के बेटे, विमल अंबानी के नाम पर रखा गया था। उन्होंने “विमल” ब्रांड का प्रचार-प्रसार इतने बड़े पैमाने पर किया कि यह ब्रांड भारत के अंदरूनी इलाकों में भी एक घरेलू नाम बन गया।
 
1980 के दशक में धीरूभाई ने पॉलिएस्टर फिलामेंट यार्न निर्माण का सरकार से लाइसेंस लेने सफलता हासिल की। इसके बाद धीरूभाई सफलता का सीढ़ी चढ़ते गए। धीरुभाई को इक्विटी कल्ट को भारत में प्रारम्भ करने का श्रेय भी जाता है। जब 1977 में रिलायंस ने आईपीओ जारी किया तब 58,000 से ज्यादा निवेशकों ने उसमें निवेश किया। धीरुभाई गुजरात और दूसरे राज्यों के ग्रामीण लोगों को आश्वस्त करने में सफल रहे कि जो उनके कंपनी के शेयर खरीदेगा उसे अपने निवेश पर केवल लाभ ही मिलेगा। अपने जीवनकाल में ही धीरुभाई ने रिलायंस के कारोबार का विस्तार विभिन क्षेत्रों में किया। इसमें मुख्य रूप से पेट्रोरसायन, दूरसंचार, सूचना प्रोद्योगिकी, ऊर्जा, बिजली, फुटकर, कपड़ा/टेक्सटाइल, मूलभूत सुविधाओं की सेवा, पूंजी बाज़ार और प्रचालन-तंत्र शामिल हैं। धीरुभाई के दोनों पुत्र 1991 के बाद मुक्त अर्थव्यवस्था के कारण निर्माण हुये नये मौकों का पूरा उपयोग करके ‘रिलायन्स’ की पीढ़ी सफल तरीके से आगे चला रहे हैं।
 
धीरुभाई अंबानी ने जो कंपनी कुछ पैसे की लागत पर खड़ी की थी उस रिलायंस इंडस्ट्रीज में 2012 तक 85000 कर्मचारी हो गये थे और सेंट्रल गवर्नमेंट के पूरे टैक्स में से 5% रिलायंस देती थी। और 2012 में संपत्ति के हिसाब से विश्व की 500 सबसे अमीर और विशाल कंपनियों में रिलायंस को भी शामिल किया गया था। धीरुभाई अंबानी को सन्डे टाइम्स में एशिया के टॉप 50 व्यापारियों की सूची में भी शामिल किया गया था।
 
निजी जीवन- 
 
धीरूभाई अंबानी का विवाह कोकिलाबेन के साथ हुआ था और उनको दो बेटे हैं मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी और दो बेटियाँ हैं नीना कोठारी और दीप्ति सल्गाओकर।
 
निधन- 
 
दिल का दौरा पड़ने के बाद धीरुभाई को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में 24 जून, 2002 को भर्ती कराया गया। इससे पहले भी उन्हें दिल का दौरा एक बार 1986 में पड़ चुका था, जिससे उनके दायें हाँथ में लकवा मार गया था। 6 जुलाई 2002 को धीरुभाई अम्बानी ने अपनी अन्तिम सांसें लीं।
 
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पुरस्कार और सम्मान- 
 
- वर्ष 1998 में पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय द्वारा ‘डीन मैडल’ प्रदान किया गया।
- एशियावीक पत्रिका द्वारा वर्ष 1996, 1998 और 2000 में ‘पॉवर 50 – मोस्ट पावरफुल पीपल इन एशिया’ की सूची में शामिल।
- 1999 में बिजनेस इंडिया-बिजनेस मैन ऑफ द ईयर।
- भारत में केमिकल उद्योग के विकास में महत्वपूर्ण योगदान के लिए ‘केमटेक फाउंडेशन एंड कैमिकल इंजीनियरिंग वर्ल्ड’ द्वारा ‘मैन ऑफ़ द सेंचुरी’ सम्मान, 2000।
- वर्ष 2001 में ‘इकनोमिक टाइम्स अवॉर्ड्स फॉर कॉर्पोरेट एक्सीलेंस’ के अंतर्गत ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड।
- एशियन बिज़नस लीडरशिप फोरम अवॉर्ड्स 2011 में मरणोपरांत ‘एबीएलएफ ग्लोबल एशियन अवार्ड’ से सम्मानित।
- फेडरेशन ऑफ़ इंडियन चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) द्वारा ‘मैन ऑफ 20th सेंचुरी’ घोषित।

RITU BHARDWAJ

Author & Editor

I am Ritu bhardwaj.This is my Website Entrepreneur India. It contain information about Entrepreneurship, Employability skill and Computer specific skill. Success is what everybody wants to achieve and all the successful people do not do different things,they do differently.we live in a information age ,where knowledge is power.In this information age ,not only success but even the survival is at the stack.if if one has to keep himself abreast of the current world, he has to invariably grasp the fundamentals of computer.

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